कुछ आंसू कुछ अनुभव लिख रहा हूं,
घूसखोर दलालो की कथा लिख रहा हूं,
लुटेरों की मौज, अपनी व्यथा लिख रहा हूं,
बर्बाद-ए- ज़िन्दगी अपनी लिख रहा हूं।
मतलबी दुनिया के हाल चाल लिख रहा हूं,
दगाबाज़ दोस्तो की किताब लिख रहा हूं,
चाटुकार रिश्तेदारों की चाल लिख रहा हूं,
मेरे दुख में हसने वालो की खुशी लिख रहा हूं।
अपने बुरे वक्त के अनुभव लिख रहा हूं,
गर्दिश में सितारों की चमक लिख रहा हूं,
हवा में उड़ते लोगो का घमण्ड लिख रहा हूं,
कुछ आंसू कुछ अनुभव लिख रहा हूं।
अनोप सिंह नेगी (खुदेड़)
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