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वु देख मेरु बालूपन

वु देख वख्मी खत्यु च मेरु बालूपन,
कदगा प्यारु कदगा न्यारू मेरु बालूपन,
सि देख खित-खित हैंसी द्वी दाँत कन छौ दिखाणु,
आँखि त देख मेरी जरा लोगु देखि मि कन रगर्याणू।
जरा यख भी त देख मि ग्वाया छौ लगाणु,
कभी हथि कभी खुट्यु थै अग्ने छौ बढाणु,
मुण्ड त देख मेरु जरा द्वी धमेलि मेरी,
एक रिबन खुल्यु हैकू कन सुंदर फूल बण्यु।
मेरी नकपोड़ि फर नज़र नि पोड़ी क्या तेरी?
सीप की धार कन हुटड़ियूं मा कन चुयेणि,
अरे रे रे !! मेरी किलक्वरि नि सुणि त्वेन?
दगड़यों दगड़ी कन किकलाट च मचाणु।
अहा अब त मी थाह लेकि दिवलि पकड़ी दौड़ाणु,
यी क्या !! कैन पकड़ी होलु मीथै पिछनै बिटी खुचिलि,
ये ब्बाबा मेरी गलोड़ि लाल कैयेलि भुक्की दे दे की,
कभी माजी कभी फूफू बारी लगैकि हर कुई प्यार लुटाणु।
वो देख मेरु बालूपन मीथै कन धै च लगाणु,
मेरु वू स्वाणु बालूपन मीथै कन मल्काणु,
जिकुड़ि मा हस भ्वरि कुतग्यलि सी लगाणु,
कभी मुल-मुल हैसाणु कभी सुगबुग रुवाणु।
वू देख वख्मी खत्यु च मेरु बालूपन,
अब कख बिटि ल्याण खोजी वू बालूपन,
खरीदणो कु छौ मी तैयार जू कैमा मिली जौ,
मेरु वू बालूपन मेरु वू बालूपन मेरु वू बालूपन।
अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
9716959339

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