दगुड़ू कख तक द्येली?
बोल, हाथ म्यारा,
हाथ म कख तक द्येली?
यी बथा कि मौसम
नि सौण-भादौ का सिवा
मेरी आंख्यों थै या
बरखा कख तक द्येली?
मी जौ थै गाई-गुनगुनायी की
दुःख बिसरेयी की बैठ्युं छौं
साज़ थै मेरा वू
नगमात कख तक द्येली?
भाग मा सिर्फ,
अँधेरा ही नि हूँदा
रात का बाद मी थै
सुबेर कख तक द्येली?
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