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Bheem Pul भीम पुल

     माणा ग्राम बद्रीनाथ से लगभग ३ किलोमीटर ऐथर च। ये गाँव हमरा देश की  तिब्बत का सीमा फर च। प्राचीन काल मा यख मणिभद्र नाम कू आश्रम छाई। आश्रम थै मणिभद्र नाम कू यक्ष(गन्धर्व/उपदेवता) चलांदु छाई। वै वक्त ये ग्राम कू नाम मणिभद्रपुर छायी।
     अब यख कू नाम माणा ग्राम च। यख की उचाई समुद्र तल बिटि लगभग दस हज़ार पाच सौ(१०५०० ) फीट च
माणा ग्राम का ताल अलकनंदा अर सरस्वती नदियों को संगम च। ये संगम खु केशव प्रयाग बुल्दिन। माणा ग्राम से वसुधरा जाण वला बाट मा सरस्वती नदी म एक शिला पुल च। जै खुण भीम पुल बुल्दिन। ये पुला कू निर्माण एक भौत बड़ा ढुंगा(पत्थर) की शिला से कर्युंच। जैका दुय्या छोड़ सरस्वती नदी का किनरो फर टिक्या छन। ये पुल मा मनखी, गौड़ा-भैसा, सब आर-पार आणा जाणा रैन्दीन।
शिला पुल का ताल सरस्वती नदी अपड़ा पूरा जोर शोर से बोगिदी रैन्द। शिला पुल का मथि चडी की दिख्येन्दु की सरस्वती नदी मथि बिटि न द्वी(दो) धारू मा बोगिकी आणि च। यू धरू खुण मनसोदभेद तीर्थ बोल्दिन। यखकू पाणी भौत ही मिठू, ठंडो, पवित्र अर स्वास्थवर्धक च। या जगा सुंदर अर एकांत च।
     एक बार पाच पाण्डव अर द्रौपदी घूमदा-घूमदा यी छोड़ आयी छाया। उल वसुधरा का तरफ जाणू छाई बाटा मा सरस्वती नदी छै, जै मन कुई पुल नि छै। पच्या पांडावू न त नदी पार कैरी दे, परन्तु द्रौपदी पार नि ह्वे साकी।तब भीम सोचण बैठ ग्याई की नदी पर कन सबियु कु बसा कु निच। किलै न मी एक बड़ू सी ढुंगू  यी नदी का द्वी छोड़ो धैरि द्यूं। अर जैसे की एक छोटु सी पुल बणी जालू अर आण जाण वलू खु भी सुविधा ह्वै जैली। तब वैइ वक्त भीम एक बड़ू सी ढुंगू ल्यायी अर सरस्वती नदी का द्वी छोड़ो फर टिके दी। अभी तक
 उ पुल जनि की तनी च। तब द्रौपदी भी वै पुल मा बिटि पार ह्वैगी। तभी ये पुल कु नौ भीम पुल पोड़ी।
     ये पुल थै देखणा खुण बद्रीनाथ आण वला यात्री जरूर आन्दीन। माणा ग्राम मा गणेश गुफा अर व्यास गुफा भी छन। यखी रै की व्यास जी न महाभारत अर पुराण लेखी छाया। माणा ग्राम से लगभग एक मील की दूरी फर सरस्वती नदी का ही छोड़ फर मुचुकुन्द गुफा भी च। ये ही गुफा मा भगवन श्रीकृष्ण जी न राजा मुचुकुन्द से कालयवन राक्षस थै भस्म कराइ छै।

अनोप सिंह नेगी(अनिल)

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