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Paharo Ki Rani Mussoorie पहाड़ो की रानी मंसूरी

                                पहाड़ो की रानी मंसूरी

     ००० मीटर की  ऊंचाई पर स्थित पहाड़ो की रानी मंसूरी एक बहुत ही सुंदर शहर है। जहाँ से हिमालय की बर्फीली चोटियों का दृश्य देखते ही बनता है। १८२७ में कैप्टन यंग ने मंसूरी शहर की खोज की। वह अंग्रेजी सेना के अफसर थे। मंसूरी पर्यटकों का चाहिता हिल स्टेशन है। यहाँ देश-विदेश से से पर्यटक आते है और इसकी प्राक्रतिक सुन्दरता का आनंद उठाते है।
     यहाँ पर हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ हर बजट के होटल और खाना उपलब्ध है। यह शहर पूरे वर्ष पर्यटकों से भरा रहता है। यहाँ सर्दियों में बर्फ पड़ती है। यहाँ का फेमस बाज़ार माल रोड़ के दोनों तरफ है, और कुर्ली से लाइब्रेरी बाज़ार को जोड़ता है। मंसूरी देहरादून से ३४ किलोमीटर की दूरी पर है। देहरादून से आने वाली बसे लाइब्रेरी या पिक्चर प्लेस पर आती है। गर्मियों में माल रोड़ यातायात के लिए बंद होता है। मंसूरी देहरादून से हर प्रकार के साधनों से जुड़ा है, जैसे हवाई अड्डा जौली ग्रांट(५८ किमी), रेल द्वारा देहरादून से (३४ किमी) और बसों द्वारा मंसूरी आया जा सकता है। मंसूरी में मालरोड़ पर यातायात लगभग पूरे साल ही बंद रहता है। यह सर्दियों में ही खुलता है। यहा रिक्सा या घोड़े की सवारी उपलब्ध है।
     मंसूरी और इसके आस-पास पर्यटकों के मनोरंजन के लिए बहुत जगह है, जैसे कैम्पटी फॉल। यह मंसूरी से १५ किमी चकरौता सडक पर स्थित है। ४५०० फुट की ऊंचाई पर यह यहा की सबसे बड़ी वाटर फॉल है गन हिल मंसूरी की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है। इस पर जाने के लिए ४०० मीटर लम्बी रोप वे है। यहा से आप बंदरपूंछ, स्क्रगंधा, पिथवारा और गंगोत्री की बर्फ से ढकी चोटियों के नज़ारे का आनन्द उठा सकते है। यहाँ का सूर्योदय बहुत ही रोमांचक है। यहाँ से आप मंसूरी शहर और दूं वैली देख सकते है। इसका नाम गन हिल इसलिए पड़ा, क्योंकि आज़ादी     से पहले यहाँ समयनुसार बन्दूक दागी    जाती थी और जनता अपनी घड़ी इस आवाज़ से मिलाती थी। 
     कैमल बाज़ार रोड़ यह कुर्ली से लाइब्रेरी तक का तीन किमी का रास्ता है, जिसमे पहाड़ ऊंट की पीठ की तरह का है। यहा से सूर्योदय का दृश्य बहुत ही सुंदर लगता है। मनॊरि लेक ६ किमी की दूरी पर मंसूरी-देहरादून रोड़ पर एक नया पिकनिक स्पॉट है। जहा पर आप बोट राइड कर सकते है। 
     क्लाउड एंड मन्सूरी के पहले चार बंगलों में से एक १८३८ में बना था। यह बंगला लाइब्रेरी से ८ किमी की दूरी पर है। इसे अब एक होटल में बदल दिया गया है। यहां से हिमालय और यमुना नदी का नज़ारा देखने को मिलता है। बिनोग माउन्टेन क्वेल सेंचुरी ११ किमी लाइब्रेरी के दक्षिण में १९९३ में स्थापित की गयी। जारीपानी  फॉल (८.५ क़ीमी), बट्टा भाटा फॉल(७ किमी), मौसी फॉल (७ किमी), ब्रैंटवुड सेंचुरी यहा आप पानी में स्नान कर सकते है, और एक ख़ूबसूरत पिकनिक स्थल भी है। 
     धार्मिक स्थल : ज्वालाजी मंदिर(७ किमी), नाग देवता मंदिर (६ किमी)। यहाँ से हिमालय का ख़ूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है।  धनौली मंसूरी से २४ किमी दूर है। यह कस्बा जो वृक्षों से घिरा हुआ है, यहा देवदार, ओक के जंगल है तथा शांतिपूर्वक समय बिता सकते है। यह २२५० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चंबा धनौली से ३१ किमी की दूरी पर १६७६ मीटर की ऊंचाई पर है। यहाँ से हिमालय भागीरथी का ख़ूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है। यह एक सुंदर रस्ते से गुजरता है, जिसके दोनों ओर सेब के बाग है। चंबा से ११ की.मी. की दूरी पर है नई टिहरी, जहा भागीरथी पर एक विशाल डैम बना है। सुरकंडा देवी मंसूरी से ३३ की.मी. की दूरी ३०३० मीटर की ऊंचाई पर है। यह बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। आप कडुखाल तक बस में जा सकते है। वहासे २ की.मी. पैदल चलकर आप इस मंदिर तक पहुच सकते है।
     यमुना ब्रिज २७ की.मी. मंसूरी से चक्रौता-बारकोट सड़क पर है, और यहाँ पर कई प्रकार की मछलिया पायी जाती है। यह फिशिंग के लिए एक सुंदर स्थल है। लाखामंडल मंसूरी से ७५ की.मी. पर है। कहा जाता है की यहाँ पर कौरवो ने पांड्वो को जलने के लिए लाखागृह बनाया था। जब पांडव यहाँ रहे तो तब भीम ने यहाँ एक दैत्य जो कि कसबे का मुखिया था, उसको मरकर उसकी बहन हिडिम्बा से विवाह रचा लिया । यहाँ का शिव मंदिर जो विधवा ईशवारा ने अपने पति की आत्मा की शांति के लिए था, आज भी स्थिर है और कहा जाता है कि तब तक स्थिर रहेगा जब तक ये धरती, चाँद-तारे और सूर्य रहेंगे।


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