श्रावण मनहर कुवलयों की मालैं हैं कासारों में, निकले दादुर जलधर का पाकर आमंत्रण।| झलक रही मुस्कानैं अटवी के अधरों में, तट का नद पर कहाँ रहा है आज नियंत्रण।। कुम्भी भरे हुँकार मस्त होकर कानन में, छटा…
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