पहाडों की याद हमने पहाडों की याद में यूँ ज़िन्दगी पार की, करवटैं बदल-बदल कर रातैं गुजार दी || ये पहाड़ चीख-चीख कर पुकारे यारो, अब इन बीरान पहाडों को कौन सँवारे यारो || तेरे जाने से यहाँ की बयार छली …
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