--"बर्स बीति गैन भुला"-- बर्स बीति गैन भुला, भभराणीं नी आग चुळा, रीति तिबार-छज्जा, डंडयाळि, घसे-पुते नि हवे भुला। बंद म्वोर-बंद द्वार, धुयेडु लगी आथर संगाड, ख्वोळि का गणेश र्यां,…
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