कैसी यह भारतीयता कैसी यह भारतीयता कैसा लोकतंत्र शोषित है लाचार यहां शोषक विचरता स्वतंत्र पंख लगा उड़ गए मंथन और विचार चारों और फैला ,आडम्बर और व्याभिचार धूमिल होती छवि देश की धुमिल गरिमा-गान राष्ट्रच…
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