सूणा ये पहाड़ की पुकार ना बिसरावा येकू प्यार।
अद जग्यु मुछ्यलु खुज्दू धै लगान्दी खांदी
तिबरी डंड्यली हेरदी लठयाला रूंदी रीति भांडी
सेवा सौली दीजा आज दीजा रन्त रैबार
अब भी खुदेंदी यी खुदेड़ डाँडी काँठी
हम लगातार नई नई रचनाये गढ़वाली कुमाउनी और हिंदी भाषाओ में प्रेषित करते रहते है अद जग्यु मुछ्यलु खुज्दू धै लगान्दी खांदी
तिबरी डंड्यली हेरदी लठयाला रूंदी रीति भांडी
सेवा सौली दीजा आज दीजा रन्त रैबार
अब भी खुदेंदी यी खुदेड़ डाँडी काँठी
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