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Madho Singh Ka Vanshaj माधौ सिंग का वंशज


जंत कर जोड़ कर,
साबळि अब सजौ,
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।
रड़दी जाँणी कुंगळि ज्वनी,
रोजगारो प्वस्ता क्वै अड्यौ।  
Madho Singh Ka Vanshaj माधौ सिंग का वंशज
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

सिखा सौर अब तु छोड़ि द्यै,
भैर जाँण से मुख मोड़ि द्यै।
हौळ-मौळ कर तु चुचा,
क्यारि सग्वाड़ि फिर सजौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

आलस का ढिकारा फोड़ि द्यै,
डंडारा कुपथ का तोड़ि द्यै।
मैनत कु पाट लगौ भुला,
बीज भला जु बुत्यै जौं।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

कै बग्वानु मा फूल उगौ,
कै सग्वाड़ि केसर सजौ।
रोप नई डाळि बगिचा,
मल्यथौ जन सेरू बणौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

क्वौदु,झंगोरु मोटु नाज,
बिराँणा किलै होंणा आज।
सैंक यूँकि दगड़ि भलि,
उद्यौग अब तु नया लगौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

कब तलक तु नकलि खालु,
कभि त पुराणुँ बग्त बौड़ि आलु।
घ्यू-दूधै तब गंगा बगलि,
ग्वोरु-भैंस्यूँ का गुठ्यार सजौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

पतळा जुट्ठा अब चाटण नी,
घरकूड़ि छोड़ी भाजण नी।
रोजगार अपड़ु यक्खी होलू,
संकल्प अब तु यनु कर्यौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

जड़ि-बूट्यूँ की खाँण य भूमि,
पर्यटन मा देंदि रस्याँण भूमि।
खेल बनि-बन्या ह्वै सकदा,
बस तु अपड़ु तरकश सजौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

म्वारि त्वै शौत देली,
फल-फूलुन ड्येळि सजलि।
साग-भुज्जि बेड़ा पार करलि,
रीत पुराणि अर नयु ज्ञान मिलौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

भैरा यख फुन्द्या हुयाँ
अर हम तौंका नौकर बण्याँ।
पच्छ्याँण अपड़ि तागत तैं,
जीवन हैका सारा न बितौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

मिस्तरि,पेंटर सभि बिहारी,
सबि कामू पर कब्जा कर्यालि।
दर्जी,नाई मा तौंकि मवासि बणीं,
सोच अब तु भी नई सजौ,
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

काम क्वै भि छोटु नि होंदु,
मनखि निकम्मु मौक़ा ख्वौंदु।
डाँडि काँठि सुणौलि गाथा,
साज-बाज अब तु सल्यौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

शुद्ध हवा,पाणि यख,
भू-बैकुण्ठ धाम जख।
भीम-अर्जुन जन बीर तु,
उदास देवभूमि इंद्रप्रस्थ बणौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

भीड़ा-पगार तु अब लगौ,
बनि-बन्याँ नया बीज रजौ।
अमिथ्या बल जु यख समायूँ,
खोल नेतर तै बल ख्वज्यौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।

द्यौ-द्यब्तू कि मंडुलि बणौ,
झिंडा निसाणुन तौं सजौ।
घैंट अपड़ि बिजै का तिर्शूळ,
यीं भूमि अपड़ि सहचरि बणौ।
माधौ सिंग का वंशज,
तु कूल फिर बट्यौ।


सर्वाधिकार सुरक्षित-नन्दन राणा

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