कि करि ज्यालो........
पहाड़ में कोरोना कि करि ज्यालो,उ चोर त सिसौणा ले मरि ज्यालो।
जब ले गाड़ नांगना कि सोचोलो,
भूत-भुतनि देखि बेरि डरि ज्यालो।।
पहाड़ में कोरोना कि करि ज्यालो।।
द्यापता छन याँ डाँणा डाँणान में,
भौत ताकत छू याँका माँणान में।
अड़ी जालो हिसालु का काणान में,
मरि जालो ह्यूनाक जाणान में।।
ऊ जागौका धुनि देखि डरि ज्यालो।
पहाड़ में कोरोना कि करि ज्यालो।।
उ ऊंच्चा पहाड़ भटि घुरकी जालो,
डाणा,काणान भटि लुढ़की जालो।
बाग देखि बेरे चोर मुरकि जालो,
भाँगाक ज्यौड़ा में सुरकी जालो।
ऊ आँसिकी धार देखि डरि जालो,
पहाड़ में कोरोना कि करि ज्यालो ।।
हम त रोज सबथै नमस्कार कूनूँ,
हाथ जन मिलाया सबैकै बतूँनूँ।
हाथ कतुक बखत एक दिन में धूँनूँ,
पालंग,मेथि व दूद दै में रूँनूँ ।।
देख्या एक दिन यो हारि जालो ।
पहाड़ में कोरोना कि करि ज्यालो ।।
©डा० विद्यासागर कापड़ी
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