कोरोना का कहर जारी है
स्वर व रचना : सुनील भट्ट्
संपादन : अनोप सिंह नेगी "खुदेड़"
कि मुसलसल कोरोना का कहर जारी है,
कि वायरस का कहर मुसलसल जारी है ,
यारों न जाने आज किसकी बारी है।
जीवो को तड़पाना सीख लो ऐ इंसानों कोरोना से,
कि जीवो को तड़पाना सीख लो ऐ इंसानो इस वायरस से,
थू थू वरना हर जगह तुम्हारी है,
कोरोना का कहर मुसलसल जारी है,
यारों न जाने आज किसकी बारी है।
कि सोए कुंभकरण को जगाया है तुमने,
सोए कुंभकरण को जगाया है तुमने,
खूब मचाया उत्पात मुसीबत भारी है,
यारों न जाने आज किसकी बारी है।
कोरोना का कहर मुसलसल जारी है,
कि बुलाकर हवाओं में ज़हर,
कि घोलकर हवाओं में ज़हर,
वह चल दिए आसमां को,
पूछा तो बोले अब जन्नत जीतने की तैयारी है,
यारों न जाने आज किसकी बारी है।
कोरोना का कहर मुसलसल जारी है,
वायरस का कहर मुसलसल जारी है,
कि सरकार कहे जो मान लो,
सरकार कहे जो मान लो,
भलाई इसी में जान लो,
घरों में रहो जब तक यह गंदी बीमारी है,
मुसलसल कोरोना का कहर जारी है,
आज न जाने यारों किसकी बारी है।
सुनील भट्ट
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