बिरखांत -164 : केदारनाथ और उपहार काण्ड नहीं भूलेंगे लोग
हर साल जून का महीना आते ही 16 तारीख को केदारनाथ की वह त्रासदी याद आ जाती है जिसमें सरकारी आकंड़ों के मुताबिक ५८०० लोग मारे गए या लापता हुए जिसमें ९२४ उत्तराखंड के बताये जाते हैं | अपुष्ट में यह आकंड़ा हजारों में है जिसमें सैकड़ों तो घोड़े- खच्चर और बिना पंजीयन के मजदूर, कुली और गाइड थे |
यह प्राकृतिक आपदा 16 और 17 जून की दरम्यानी रात्रि को अचानक बादल फटने के कारण मंदाकिनी के उग्र होने से आयी | उस क्षेत्र में यह इंतनी भयंकर आपदा थी कि जिसमें उत्तराखंड के 4219 गावों की बिजली, 1187 पेयजल योजनाएं और 2229 सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गए | पर्वतीय क्षेत्र के उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग जिले अधिक प्रभावित हुए | आज इस घटना के तीन वर्ष बाद परिस्थिति बहुत कुछ बदल गई है परन्तु आये दिन बादल फटने की घटनायें होती रहती हैं जबकि उत्तराखंड के चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ,गंगोत्री और यमुनोत्री का धार्मिक पर्यटन एवं प्रकृति दर्शन सुचारू रूप से चल रहा है |
उत्तराखंड एक पर्वतीय भगौलिक संरचना का राज्य होने के कारण यहां कुदरती आपदाएं कभी भी आ सकती हैं | यहां बादल फटने, भूचाल आने और भूस्खलन होने जैसी घटनाएं एक आम बात है| चातुरमास में यहां छोटे-मोटे गाड़-गधेरे भी भबक कर बिकराल रूप धारण कर लेते हैं | 16 जून 2013 की आपदा को मानव जनित आपदा भी कहा जाता है क्योंकि इस क्षेत्र में लोगों ने नदी के घर ( बहाव क्षेत्र ) में मकान, होटल,धर्मशाला, सड़क सहित कई अवैध निर्माण भी कर दिए थे | धार्मिक पर्यटन ने पिकनिक का रूप ले लिया था तथा वाहन संख्या अत्यधिक बढ़ गई थी|
इस घटना से बहुत कुछ सीखा जा चुका है जिससे आपदा आने पर जनहानि न हो | उस आपदा में हमारी सेना के सहयोग को नहीं भुलाया जा सकता जिसने आपदा में घिरे हजारों तीर्थयात्रियों को दिन-रात परिश्रम करके बचाया था| हम सेना का आभार प्रकट करते हुए दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं |
जून में ही प्रतिवर्ष 13 तारिख को दिल्ली में घटी एक दिल दहलाने वाली घटना भूलकर भी नहीं भूली जाती | इस दिन 1997 को ‘बोर्डर’ फिल्म के प्रथम शो पर दिल्ली के ‘उपहार’सिनेमाघर में भयंकर आग लगाने के कारण 59 दर्शकों की दम घुटने से अकाल मृत्यु हो गई | 20 वर्ष बीत जाने की बाद भी अपनों को खोने वाले पीड़ित परिवारों को अभी तक न्याय नहीं मिला है| अपना दुख बांटने और न्याय की गुहार लगाने के लिए इन पीड़ित परिवारों ने एक संघ भी बनाया है जो प्रतिवर्ष विगत 20 वर्षों से अपने स्वजनों के लिए एक साथ मिलकर आंसू बहाते हैं और सिसकियां भरते हुए न्याय की उम्मीद पर जीवित हैं |
‘उपहार’ सिनेमा अग्नि काण्ड आदालती दांवपेंच में फंसा हुआ है | 18 अगस्त 2015 को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार मुख्य अपराधी अंसल बंधुओं को दो- दो साल की सजा और तीस- तीस करोड़ रुपये का जुर्माना किया गया जो उन्होंने जमा कर दिया बताया जाता है |पीड़ित संघ ने इसे प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन मानते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की है | इस घटना ने देश के सिनामघरों की दशा पर सबका ध्यान केन्द्रित किया | घटना के बाद सिनेमाघरों के लिए कड़ी नियमावली बनाई गई जिसमें ट्रांसफार्मर ठीक रखने, अग्निशमन के दुरुस्त साधन रखने तथा नियम से अधिक सीट नहीं रखने आदि संबंधी जनहित में कई बातें हैं | हम उम्मीद करते हैं कि देश के सभी सिनेमाघरों में ये नियम क्रियान्वित हो रहे होंगे |
उक्त दोनों ही घटनाएं मानव जनित हैं | यदि हम अपने लालच- स्वार्थ- रातोंरात आसमान छूने की भूख को रोक लें, अपने को भ्रष्ट होने से बचा लें, सिर्फ अपने ही बारे में सोचना छोड़ दें तथा‘जीओ और जीने दो’ के आदर्श सिद्धांत को अपना लें तो हम बहुत हद तक इन त्रासदियों से मानव को बचा सकते हैं | काश ! ऐसा हो | आज दो अंसल बंधुओं सहित अन्य पाँचों आरोपी जिन्दी लाश बन मरमर कर जी रहे हैं |
पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.06.2017
22.06.2017
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