प्रवासी बोलुण कतगा आसान च, कभी प्रवासी जीवन जी की त देख, दस बाई दस का कमरा म रै सै की त देख, प्रवासी जन घर बौण करी की त देख, बिसरी जैली प्रवासी बोलुणा कु ढब, जरा पीड़ा वैकि समझी की…
उत्तराखण्ड स्थापित त व्हैगे, जड़ नि मिली अब तक। सोलह साल म आठ मुख्यमन्त्री व्हैगी, राजधानी सुनिश्चित व्है नि अब तक, पुंगड़ी बंजे गी पहाड़ो मा, पर चकबन्दी व्है नि अब तक। पलायन बढ़दी जाणू पहाड़ मा, रोज़गार व…
जी तो करता है ऐ कायर पाकिस्तान, आज तेरा इतिहास लिख दू। रज में मिला दू तुझे कही ऐसा न हो, खगोल भूगोल तेरा मैं बदल दू। बस अपनी खुशकिस्मती समझ तू, कि मैं भारत जैसे शांतिप्रिय देश से हूँ। नही तो सच कहता …
दीदों ये माटु मा खत्युं म्यार अपुंण बचपन पाटी बुखल्या लेकी जब जांद छ्या हथपन मतीसारी बिटी सरा गांव दिख्यांणा म्यारु आंखी भरे गेन देखी ब्वांग अपुंण प्यारु जब भी जांदु गांव दीदों खुजदु अपुंण बचपन कबी क…
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