Top Header Ad

Banner 6

कमी नि पहाड़ मा

लेखी-लेखी की करू क्या?
पहाड़ तब भी बर्बाद हूणु चा,
लिखण वलु की कमी नि पहाड़ मा।

गायी-गायी की करू क्या?
पहाड़ तब भी धै लगाणु चा,
गाण वलु की कमी नीच पहाड़ मा।

समझै-समझै की करू क्या?
पहाड़ तब भी नि बुथेणु चा,
बुथ्याण वलु की कमी नि पहाड़ मा।

सोची-सोची करू क्या?
पहाड़ तब भी हरचुणू चा,
सोचण वलु की कमी नि पहाड़ मा।

देखी-देखी करू क्या?
पहाड़ तब भी रुणु चा,
देखण वलु की कमी नि पहाड़ मा।

समाली-समाली करू क्या?
पहाड़ तब भी छुटणु चा,
समलण वलु की कमी नि पहाड़ मा।

सै-सै की करू क्या?
पहाड़ तब भी दुखणु चा,
सैण वलु की कमी नि पहाड़ मा।

हैंसी-हैंसी करू क्या?
पहाड़ तब भी सुबकुणु चा,
हैंसण वलु की कमी नि पहाड़ मा।

रोपी-रोपी की करू क्या?
पहाड़ तब भी उजड़णु चा,
रोपण वलु की कमी नि पहाड़ मा।

हरचे-हरचे की करू क्या?
पहाड़ तब भी लुप्तेणु चा,
हरचाण वलु की कमी नि पहाड़ मा।

अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ