दर्द तो अब
इस ज़माने में इसके बिना न कोई किस्सा है
गम को सीने से लगा लो यारो
फिर ये कहना ज़माने से खुशनशीब न कोई हमसा है
दगा तो देती है खुशियाँ जिसका पलभर का भरोसा नहीं
दर्द न होगा कभी कम इसने तो वफ़ा का दमन थामा है
जिसने समझा है इसे, परेशां वो हो नहीं सकता
पना हमदम बना लो इसे, फिर जहाँ में न कोई तुमसा है
अनोप सिंह नेगी (खुदेड़)
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