Top Header Ad

Banner 6

दर्द तो अब



दर्द तो अब



ऐ दोस्त ये दर्द तो अब ज़िन्दगी का इक हिस्सा है
इस ज़माने में इसके बिना न कोई किस्सा है
     गम को सीने से लगा लो यारो
     फिर ये कहना ज़माने से खुशनशीब न कोई हमसा है
दगा तो देती है खुशियाँ जिसका पलभर का भरोसा नहीं
दर्द न होगा कभी कम इसने तो वफ़ा का दमन थामा है
      जिसने समझा है इसे, परेशां वो हो नहीं सकता

  पना हमदम बना लो इसे, फिर जहाँ में न कोई तुमसा है

अनोप सिंह नेगी (खुदेड़)




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ