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Dodital is a unique view of natural beauty प्राक्रतिक सौन्दर्य का अनूठा नज़ारा है डोडिताल

प्राकृतिक सौन्दर्य का अनूठा नज़ारा है डोडिताल
Dodi Tal, Uttarakhand
डोडिताल 
   नैसर्गिक सौन्दर्य का स्वामी डोडिताल ट्रैकिंग करने वालो के लिए स्वर्ग समान है। चारों तरफ से रमणीय घाटी से घिरे डोडिताल की अनुपम छटा देखते ही बनती है। अद्भुत सौन्दर्य की छटा बिखेरते ऊंचे पहाड़ किसी अप्रितम सुन्दरी से कम नहीं लगते। आसमान से छूते पहाड़ों के सीने पर चढ़ते हुए आसपास के मनोरम दृश्य व झरनों से गिरते जल की कल-कल करती कर्णप्रिय ध्वनी  पर्यटकों में नव-चेतना का संचार कर जाती है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह सबसे उपर्युक्त स्थान है। प्राकृतिक झरने व चश्में, घने व हरे-भरे जंगल, दुर्लभ किस्म के पक्षियों को देखने व दुर्गम पहाड़ों पर चढ़ने की चुनौती देने वालों के लिए एक सही चुनाव है डोडिताल। स्वच्छ झरनों, हरियाली से भरपूर जंगलों के बीच पहाड़ों में ट्रैकिंग करते हुए समुद्रतल से ३३०७ मीटर की ऊंचाई पर डोडिताल की यात्रा एक अनूठा अनुभव है जो कि पर्यटकों के लिए रमणीक साबित हो सकता है। उत्तराखंड की सुप्रसिद्ध पर्यटन नगरी उत्तरकाशी से केवल ३९ किमी कि दूरी पर एक घटी में चरों ओर वृक्षों से घिरा हुआ है डोडिताल। हिमालयन क्षेत्र में यहाँ प्राकृतिक सौन्दर्य चीड, देवदार, मैप्पल के वृक्ष व विभिन्न सुन्दर फूलों की उपस्थिति बेहद मनोरम प्रतीत होती है। यहाँ पहुचने के लिए उत्तरकाशी पहुच कर बेस कैंप के सहारे आगे मंजिल तक पंहुचा जा सकता है। उत्तरकाशी से १३ किम दूर स्थित कल्याणी में बेस कैंप लगाकर पैदल ट्रैकिंग करते हुए संगमचट्टी होते हुए अगोड़ा गाँव से बेवड़ा तथा मांझी आदि स्थल पर एक-एक रात बिताकर डोडिताल तक पैदल ट्रैक तय किया जा सकता है, क्योंकि यहाँ केवल पैदल ट्रैकिंग ही संभव है। हालांकि सामान आदि ढोने के लिए घोड़े व खच्चरों का भी प्रयोग किया जा सकता है। यदि आप कल्याणी में बेस कैंप बनकर चलते है तो डोडिताल तक पहुचने में आपको कुल २६ किमी की पैदल यात्रा अवश्य करनी पड़ेगी। इस ट्रैकिंग में अगोड़ा नामक गाँव भी पड़ता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी १९९१ में विनाशकारी भूकंप के समय यह गाँव इसका केंद्र बिंदु था। यह गाँव संगमचट्टी से लगभग पांच किलोमीटर के दूरी पर है। प्राकृतिक दृष्टि से यह गाँव अत्यंत सुंदर है। यहाँ बिजली व पानी की सुविधा है किन्तु दूरभाष सुविधा पहले नही थी लेकिन अब यह सुविधा भी है। इस डोडिताल वाले पड़ाव पर यह अंतिम गाँव है। हालांकि इसके आगे बेवड़ा, कचोड़ा आदि स्थलों पर छोटे-मोटे ढाबों पर खाद्य सामग्री व शीतल सॉफ्ट-ड्रिंक्स भी सीजन अनुसार मिल जाते है।
डोडिताल को धार्मिक मान्यता के आधार पर गणेश जन्मभूमि के रूप में विशेष महत्व दिया जाता है। इसी विश्वास के प्रतीक के रूप में यहाँ एक मंदिर भी बना हुआ है। डोडिताल गिरिराज हिमालय की गोद में तथा घने वृक्षों की छाया में अवस्थित अजस्त्र प्रवाह पुण्य सलिला अस्सी गंगा का उद्गम स्थल भगवती अन्नपूर्णा दरबार दुन्डीराज गणेश  जन्मभूमि दिव्य डोडिताल तीर्थधाम का अपना विशेष प्राकृतिक एवं धार्मिक महत्व है। प्रत्येक वर्ष जून माह में पावन तीर्थ डोडिताल में गणेश अन्नपूर्णा महोत्सव बड़ी डूम-धाम से मनाया जाता है। सिद्ध तपस्वी योगिगण, देवता, गंधर्व, अप्सरा, किन्नर आदि के सम्मान में मुनियों द्वारा विराट महायज्ञ आयोजित किया अजत है। स्थानीय लोगो का विश्वास है कि नैसर्गिक सौन्दर्य के लिए विश्वविख्यात आध्यात्मिक दर्शनीय पर्यटन स्थल डोडिताल में स्नान मात्र से सम्पूर्ण विध्या तथा अन्न-धन की प्राप्ति होती है। डोडिताल में अप्रेल से जून तक का समय ट्रैकिंग के लिए उचित समय होता है। उन दिनों दिन के समय का अधिकतम तापमान १८ डिग्री तथा न्यूनतम तापमान ३ डिग्री तक होता है। मौसम के मुताबिक अपने साथ कपड़े एवं जरूरी सामान अवश्य लेकर जाएं। 
डोडिताल पहुचने का मार्ग : बस व जीप मार्ग दिल्ली से हरिद्वार-ऋषिकेश-उत्तरकाशी-संगमचट्टी है रेलमार्ग द्वारा भी डोडिताल पंहुचा जा सकता है।


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