अमर तेरा सुहाग हो
अखण्ड हो अटल रहे, जीवन पथ पर सचल रहे।अमर तेरा सुहाग हो, चित प्रेम से सजल रहे।
दामन में सुधारस रहे, दूर नित गरल रहे।
डिगे नहीं थके नहीं, विश्वास शैल सा अचल रहे।
अमर तेरा सुहाग हो, चित प्रेम से सजल रहे।
धुंध ना जमे कोई, सब स्नेह का तरल रहे।
तू वाहिका स्नेह द्रव की हो,घरद्वार संतोष फसल रहे।
अमर तेरा सुहाग हो, चित प्रेम से सजल रहे।
आदि तू है अंत तू,सृष्टि की दिगदिगंत तू।
करवा तेरा अक्षुण्ण बने, दिव्यपंथ का दिव्य संत रहे।
अमर तेरा सुहाग हो, चित प्रेम से सजल रहे।
खनकती रहे चूड़ी तेरी, पायल यूँ ही बजती रहे।
नित रंगे मेंहदी सुहाग की, बिंदिया सितारों सी सजती रहे।
अमर तेरा सुहाग हो,चित प्रेम से सजल रहे।
प्रशस्थ तेरा पथ रहे, सजा जीवन का रथ रहे।
दिव्य हों दीवारें घर की तेरी, अक्षुण्ण तेरे घर की छत रहे।
अमर तेरा सुहाग हो,चित प्रेम से सजल रहे।
नमन तुझे शत बार है, घर में तुझसे ही बहार है।
शक्ति का अमर पुंज तू, विधि की कृति अपार रहे।
अखण्ड हो अटल रहे, जीवन पथ पर सचल रहे।
अमर तेरा सुहाग हो, चित प्रेम से सजल रहे।
सर्वाधिकार सुरक्षित-नन्दन राणा
नोट: - इस गीत को सुनने के लिए आप हमारा यूट्यूब चैनल देख सकते है
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