Top Header Ad

Banner 6

Lft. Col. Ranveer Jamval

लेफ्टिनेंट कर्नल रणवीर जामवाल


          नमस्कार मित्रो आज आपको परिचय दे रहा हूं एक ऐसे जाबांज़ का जो उत्तराखण्ड से नहीं लेकिन इस शख्सियत ने उत्तराखण्ड देवभूमि को अपना कर्मभूमि माना है। भारतीय सेना के जांबाज व अंतराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त सैन्य अधिकारी लैप्टीनेंट कर्नल रणवीर जामवाल जिन्हे विशेष उपलब्धियों के लिये सेना द्वारा दो बार विशिष्ट सेवा मैडल से नवाजा जा चुका है। पर्वतारोहण की दुनिया मे नित नया आयाम छु रहे है। इन्होंने तीन बार दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर सफल आरोहण कर देश का ध्वज बुलंद किया है। इसके साथ-साथ इन्होंने पांच महाद्वीपों के सर्वोच्च शिखरों को छुने के साथ साथ देश विदेश के 28 से ज्यादा दुर्गम शिखरों पर सफलता पूर्वक आरोहण कर देश को गौरवान्वित किया है। साहसिक खेलों की दुनिया मे दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार द्वारा आपको पहले ही नवाजा जा चुका है। 2015 के एवरेस्ट अभियान के दौरान नेपाल मे आये जलजले मे फंसने के बाद अपनी जान की परवाह किये बिना आपने स्वयं अपने दल सहित बचाव कार्य मे लगकर देशी विदेशी सैकडों सैलानियों की जान बचाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को तब भी गौरवान्वित किया। अभी तक तीन बार एवरेस्ट पर सफल आरोहण कर चुके कर्नल जामवाल को कई प्रतिष्ठानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है, व हाल मे आपकी उपलब्धियों के लिये आपको गृह राज्य जम्मू कश्मीर सरकार के J&K Bank द्वारा अपने नव वर्ष 2017 के कैलैंडर मे भी शामिल किया गया है।
         मूल रुप से जम्मू मे सांबा जिले के बडोड़ी गांव के रहने वाले सैन्य अधिकारी का उत्तराखण्ड से बहुत पुराना नाता है व अपने पर्वतारोहण की शुरुवात भी गढ़वाल हिमालय की दुर्गम चोटियों से करी है। माउंट चौखंभा रेस्क्यु से आपका पहला अभियान शुरु हुआ, व माणा पर्वत
आपका पहला पर्वतारोहण अभियान था। जिसमें ये भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट के आरोहण दल का नेतृत्व कर रहे थे।  उस अभियान मे भयंकर बर्फीले तुफान मे फंसने के बाद इन्हें जिंदगी व मौत को काफी करीब से देखने का अवसर भी मिला। इस अभियान मे आपने अपने शरीर का अभिन्न हिस्सा बर्फ लगने के कारण अपने दाहिने हाथ की उंगली के रुप मे खोया लेकिन मजबूत व दृढ निश्चयी अधिकारी ने दुगने उत्साह से पर्वतारोहण अभियानों को जारी रखा व आज भी उत्तराखण्ड की दुर्गम पहाड़ियों को अपनी कर्मभूमि के रुप मे मानते हुये बद्री केदार की पावन भूमि से अपना गहरा रिश्ता मानते है। देश को ऐसे सैन्य अधिकारियों पर फक्र है।
         खुदेड़ डाँडी काँठी की ओर से कर्नल रणवीर जामवाल जी को उनके सफल अभियानों के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं।


अनोप सिंह नेगी(खुदेड़)
9716959339

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ