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Uttarayani Parv 2018 उत्तरायणी पर्व 2018

शुभ प्रभात कल 14 जनवरी 2017 के दिन बहुत ही व्यस्तता और रोमांचक रहा।
दिल्ली प्रदेश में हर ओर उत्तराखण्ड के मंच सजे दिखे, जिसमे दिल्ली सरकार की सहभागिता से 32 स्थानों पर उत्तरायणी पर्व बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया गया। इसके अलावा भी बहुत से मंचो ने इस पर्व को मनाया जिस ओर से भी आज गुजरना हुआ हर तरफ उत्तराखण्ड की छटा बिखरी मिली। इसी पर्व को खुदेड़ डाँडी काँठी साहित्य एवं कला मंच (पंजिकृत) तथा उत्तराखण्ड रामलीला एवं सांस्कृतिक मंच(पंजी.) ने कुतुब विहार फेस-2 हनुमान चौक, नई दिल्ली 110071, मटियाला विधान सभा मे मनाया। खुदेड़ डाँडी काँठी ने आज इस मंच से दो छोटे बाल कलाकारों की जोड़ी तैयार की जिसमे बाल गायिका शगुन उनियाल और बाल अदाकारा इशिता नेगी ने अपनी प्रस्तुति दी। इस जोड़ी को मंच पर प्रस्तुति देते हुए देख जनता अपने स्थानों को छोड़ मंच के समीप पहुचने लगे। दर्शकों ने इस जोड़ी को अपनी ओर खूब आकर्षित किया।
वही मंच संचालन में मंजु बहुगुणा जी ने भी दर्शको को अपनी संस्कृति से परिचित करवाया। यदि बात करे देवी देवताओं की तो आज नंदा देवी की डोली के साथ देवी देवताओं के दर्शनों का सौभाग्य भी दर्शको प्राप्त हुआ, सुप्रसिद्ध गायक मंगलेश डंगवाल जी के गीत संग मनिला माई कला मंच के कलाकारों द्वारा नन्दा डोली की प्रस्तुति दी गयी।
माया बाँद, सिल्की बाँद जैसे गीतों पर दर्शक झूमे बिना नही रह सके। बटी जाली दौली जैसे गीत में मीना राणा जी और मंगलेश डंगवाल जी ने खूबसूरत प्रस्तुति दी मीना जी ने अपनी एक के बाद एक गीत प्रस्तुत किये जिनमें दर्शक गण खूब झूमे।
कविता गुसाईं की प्रस्तुति चैता की चत्वाली पर भी दर्शक खूब झूमते दिखे।
अब बात करे कुमाऊ की तो बिशन हरियाला जी ने भी दर्शको के बीच खूब समा बांधा और दर्शको को हर तरफ संगीत में सराबोर कर दिया, दूसरी तरफ भाई कुमाऊनी गायक कुंदन राणा जी ने भी दर्शको का मन खूब अच्छे से मोह लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत खुदेड़ डाँडी काँठी साहित्य कला मंच (पंजी.) की गणेश वंदना
"गणपति ऐ जावा हमरा येई शुभ कारज मा
माँ शारदे बसी जावा हमरा गौला का कंठो मा"
उत्तराखण्ड की याद दिलाते उत्तराखण्ड के साज-बाज ढोल दमाऊ मशकबीन का भी यहाँ दर्शको खूब लुत्फ उठाया।
यह पर्व दिल्ली में खूब धूमधाम से मनाया गया। और किसी भी भाषा संस्कृति को बचाने बढ़ाने में उस समाज के जनमानस का जितना योगदान होता है उतना ही योगदान सरकार का भी होता है और ये श्रेय दिल्ली सरकार को जाता है जिसने उत्तराखण्डी समाज को जगह जगह एकजुट होने का यह मौका दिया।
काश यह मौका उत्तराखण्ड में भी सरकार यदि ऐसे मौके दे तो यह पर्व और बेहतर होता।
आशा है कि भविष्य में उत्तराखण्ड सरकार भी इस ओर अवश्य ध्यान देगी।
खुदेड़ डाँडी काँठी साहित्य कला मंच (पंजी.) भविष्य में नई प्रतिभाओं को मंच देने हेतू सदा प्रतिबद्ध है और हमेशा अपने उद्देश्यों को सफल करने में आपके सहयोग के लिए आभारी रहेगी।

खुदेड़ डाँडी काँठी परिवार

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