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Kailash Mansarovar Yatra कैलाश मानसरोवर यात्रा

             कैलाश मानसरोवर
दोस्तों यदि इस भागमभाग एवं तनाव भरी जिंदगी से कुछ पल अगर आप प्रकृति की गोद में बैठ कर बिताना चाहते है तो निकल पड़िये कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर। पूरे हिमालयी श्रृंखला में मानसरोवर क्षेत्र सबसे ज्याद
पवित्र और अध्यात्मिक संवेदना वाला माना
कैलाश मानसरोवर का एक दृश 
 जाता है। हमारे भारत देश का उत्तरी भाग मे भूटान से कश्मीर तक का हिमालयी क्षेत्र कैलाश भूमि के नाम से जाना जाता है। कश्मीर से भूटान तक की हिमालयी पर्वत श्रृंखला के उर्ध्व(उपरी)-मध्य भाग में कैलाश पर्वत स्थित है। सम्पूर्ण हिम श्रृंखला का मालिक सबसे ऊँचा कैलाश, आदिदेव व मूलभूत महाशक्ति का आधार स्थल है। कैलाश पर्वत भारत की अन्य पर्वतों की तुलना में सबसे अधिक सुन्दर है। कैलाश के नजदीक ही स्थित है मानसरोवर झील। कुछ बौद्ध व पाली ग्रंथो में मानसरोवर 'अनोप्टा' या 'अनवतप्टा' के नाम से वर्णित है, जिसका अर्थ है बिना ताप व बिना कष्ट वाली झील। मानसरोवर का जल जितना मीठा है उतना किसी नदी का नहीं है। सरे विश्व के हिन्दू व बौद्ध धर्मावलंबी इस क्षेत्र को पवित्रम क्षेत्र की दृष्टि से देखते है। मानसरोवर का जल जब शांत होता है, हवाए स्तब्ध होती है, तब इसके दक्षिणी छोर से कैलाश पर्वत का प्रतिबिम्ब मानसरोवर में दिखाई पड़ता है। अगर उत्तर-पूर्व दिशा से देखा जाए, तो मान्धाता पर्वत का विशाल शीर्ष भाग झील में प्रतिबिम्बत होता दिखाई देता है। सूर्यास्त के समय कैलाश का शीर्ष भाग एक रक्तिम आभा से परिपूर्ण हो जाता है। ऐसे में एकाएक देखने वाले को यह चाँदी का शिखर दिखाई देता है। और प्रात: कालीन सूर्य पूरे कैलाश पर्वत पर एक सोने का मुलम्मा(परत) सी चढ़ा देता है। कहा जाता है कि कैलाश पर्वत से एक ज्योति निकलती दिखायी देती है। पर्यटक इस ज्योति को देखने के लिए रत में एक-दो बजे तक भी मानसरोवर के किनारे इन्तजार करते रहते है। उनमे से कई ये दावा भी करते है कि उन्होंने ये पवित्र ज्योति देखि है। एक किंदवंती यह भी है की मानसरोवर में राजहंस मोती चुगते है। यदि आप कभी कैलाश मानसरोवर जाए तो रस्ते में कई श्रद्धालु मोती ढूंढते दिखायी दे सकते है। कहावत है कि नील-कमल सिर्फ सरोवर में ही खिलता और दिखता है। कैलाश मानसरोवर की पूरी यात्रा अपने आप में विस्मयकारी है, जिसको सिर्फ महसूस किय जा सकता है। यूं तो कैलाश मानसरोवर की छटा सर्दियों में देखते ही बनती है, लेकिन इस मौसम में कैलाश मानसरोवर जाना मुमकिन नहीं है। क्योंकि सर्दियों में यहाँ का तापमान -१५ डिग्री सेल्सियस से -४५ डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। गर्मी के मौसम में खासकर जून से सितम्बर के बीच कैलाश मानसरोवर की यात्रा की जा सकती है। वैसे भी, पर्यटन के नए-नए क्षेत्र विकसित हो जाने के बाद अब कैलाश मानसरोवर जाना पहले की अपेक्षा सुगम हुआ है। भारत सरकार के अतिरिक्त इस वक्त देश में कुछ ऐसे टूर एंड ट्रेवेल एजेंट भी है, जो आपको कैलाश मानसरोवर की यत्र के लिए अपनी सेवाए प्रदान करते है।
भारत सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा जून-जुलाई में शुरू होती है, जो पूरी तरह से सरकार की देखरेख में होती है। इसका कुछ हिस्सा अब भी तय करना पड़ता है। वैसे टूर एंड ट्रेवल्स वाले ये यात्रा हेलिकॉप्टर तथा गाड़ीयो द्वारा तय करवाते है, क्योंकि इनका कैलाश मानसरोवर तक पहुँचने का मार्ग भारत सरकार के मार्ग से अलग है। यह मार्ग काठमांडू से होकर जाता है। 
कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए यात्री स्वस्थ होना बहुत जरूरी है, और इतनी ऊंचाई तक पहुँचने के लिए कुछ हिदायते भी जरूरी है, जैसे:- 
  • हर पन्द्रह मिनट चलने के बाद पाच मिनट आराम 
  • वार्तालाप कम-से-कम 
  • हल्का वजन लेकर चलना 
  • धीरे-धीरे चले     अपनी सामान्य गति के एक-तिहाई 
  • बोरियत से बचने के लिए इअर फोन से संगीत सुने, फोटो खीचने में अपना ध्यान लगाये, दूरबीन से प्राकृतिक दृश्यों का नज़ारा ले। 
  • छोट-छोटी सांसे ले। 
  • छोटी-मोटी बीमारियों के लिए फर्स्ट ऐड किट (First Aid Kit) साथ रखे 
  • गहरे रंग के धूप के चश्मे साथ रखे। 
कुछ जरूरी कागजात हमेशा साथ रखे:-
  • पहचान पात्र 
  • विजिटिंग कार्ड 
  • टेलीफोन एवं पते की डायरी।
सर्दी से बचने के लिए एवं सफल यात्रा के लिए निम्न सामान भी साथ रखे:-
  • गहने कम-से-कम पहने।
  • कैमरा (पर्याप्त बैटरी के साथ रखे).
  • वाटर-प्रूफ एवं तेज़ रौशनी वाली टॉर्च अतिरिक्त बैटरी के साथ।
  • दूरबीन। 
  • मल्टीपर्पज चाकू। 
  • लीक-प्रूफ पानी की बोतले। 
  • ऊनी गर्म कपड़े। 
  • अच्छी किस्म के पूरे इनर वियर। 
  • गर्म पानी की सेकने वाली बोतल।
  • सर ढकने वाला रेन-कोट।
  • पीठ पर लड़ने वाला बैग। 
अब आप तैयार है पूरी तरह से कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए। और वहा पर है आपके लिए प्रकृति के अदभुद नज़ारे, और मन की सच्ची शांति। 
नोट:- 
प्राइवेट टूर एंड ट्रेवल्स के माध्यम से कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए भारत सरकार से किसी भी तरह की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती। परन्तु भारत का पासपोर्ट तथा चीन का वैध वीज़ा होना जरूरी है।
प्राइवेट टूर एंड ट्रेवल्स यह यात्रा मई से सितम्बर के बीच करवाते है। काठमांडू से कैलाश मानसरोवर होकर वापस काठमांडू आने तक लगभग दस से बढ़ दिन का समय लगता है।


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अनोप सिंह नेगी(खुदेड़) 






















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